दाम्पत्य तकरार और वास्तु
कभी-कभी पति-पत्नी के मध्य अकारण हो रहे झगड़ों का कारण वास्तु दोष भी हो सकता है। सुखमय दाम्पत्य जीवन प्रत्येक गृहस्थ की कल्पना होती है। इसके बिना सभी सुख बेकार माने जाते हैं। दाम्पत्य जीवन के मतभेदों को वास्तु शास्त्र के माध्यम से बिना किसी तोड़-फोड़ के दूर कर सकते हैं।
* भवन के उत्तर-पूर्व में शौचालय है तो निश्चय ही पति-पत्नी में मतभेद पैदा हो जाएँगे।
* अगर पूर्व-दक्षिण का कोना बढ़ा हुआ है या इस क्षेत्र में खाली जगह पड़ी है। तो भी मतभेद पैदा हो सकते हैं।
* यदि मकान के उत्तर-पूर्व की दिशा, दक्षिण-पश्चिम की दिशा में अंतर है, तो पति-पत्नी की नहीं पटेगी।
* उत्तर-पूर्व की दिशाओं के कोने को ढँक दिया है तो पति-पत्नी में आपस में प्रेम कम रहता है।
* किसी भवन का फर्श टूटा-फूटा हो अथवा शयन-कक्ष का फर्श टूटा हो या फर्श की ढलान एक सी नहीं हो तो पति-पत्नी में विवाद होने लगता है।
* शयन-कक्ष के द्वार के सम्मुख पलंग हो तो किसी तीसरे को लेकर झगड़ा होने लगता है।
* शयन कक्ष के दरवाजे के सामने कोई खंभा या कमरे का कोना आता है तो भी आपस में झगड़ा होता है।
* शयन कक्ष में बीम अथवा समतल छत न हो तो उसके नीचे सोने के लिए पलंग नहीं लगाना चाहिए। इससे आपस में तनाव पैदा हो जाएगा।
* अगर दम्पति में मतभेद हो तो शयन कक्ष के दक्षिण को जागृत करना होगा। इससे भी मतभेद समाप्त हो जाते हैं।
* शयन कक्ष में पति-पत्नी की संयुक्त फोटो वायव्य कोण में लगाएँ या रखें। अकेले फोटो न लगाएँ, इससे आपस में झगड़ा होगा।
* शयन कक्ष में पूजा घर नहीं बनाना चाहिए। यदि एक ही कमरा है तो पूजा घर के सामने हमेशा पर्दा लगाना चाहिए।
* यदि घर में स्थान कम हो, बैठक के रूप में अपने शयन कक्ष को प्रयोग करना आवश्यक हो, तो शयन कक्ष में परदा लगाकर अतिथियों का कक्ष बनाना चाहिए।
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